हर साल की तरह इस साल भी 2024 में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। बता दें कि, सबसे पहले पृथ्वी दिवस साल 1970 में मनाया गया था कुछ समय से पृथ्वी दिवस मनाने की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है और हर साल मौसम परिवर्तन की वजह से दुष्परिणाम को देखते हुए पृथ्वी दिवस पर नई थीम बनाई जा रही है। चलिए जानते हैं इस साल पृथ्वी दिवस पर कौन सी थी बनाई गई।
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क्यों मनाया जाता है पृथ्वी दिवस ?
पृथ्वी दिवस मनाया जाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण है। दरअसल क्लाइमेट चेंज होने से जो दुष्परिणाम देखे जा रहें हैं उसे लेकर पर्यावरण संरक्षण के लिए हर साल पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस दिन जगह-जगह सम्मेलन होती है, थीम बनाई जाती है ताकि लोग अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूक हों।
सबसे पहले कहां बनाया गया अर्थ डे ?
सबसे पहले अर्थ डे साल 1970 में मनाया गया था इस साल 150 देशों के यूनिवर्सिटीज के विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता फैलाने के लिए पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया था। बता दे कि अब 192 से भी अधिक देशों में अर्थ डे मनाया जाता है।
अर्थ डे पर साल 2024 का थीम
जलवायु परिवर्तन होने से पर्यावरण काफी दूषित हो रहा है जिसे देखते हुए अर्थ डे पर नई थीम बनाई जाती है ताकि लोग अपनी पर्यावरण को संरक्षित करें। इस साल 2024 में देश में पर्यावरण संरक्षण हेतु ‘ग्रह बनाम प्लास्टिक’ थीम बनाई गई जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि इस साल के थीम के अनुसार हमें पॉलिथीन पॉल्यूशन को रोकना चाहिए, इस साल इसीलिए ग्रह बनाम प्लास्टिक थीम बनाई गई ताकि लोग प्लास्टिक पॉल्यूशन को लेकर जागरूक हों।
अर्थ डे पर ऐसे करें पर्यावरण का संरक्षण
सिंगल यूज प्लास्टिक को अवॉइड करना चाहिए, प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना चाहिए।
प्लास्टिक के कचरे को सफाई करने को लेकर जागरूक होना चाहिए अर्थात इसके लिए कई तरह के कदम उठाना, जैसे प्लास्टिक के जगह कागज एवं बूट की थैली इस्तेमाल करना चाहिए।
प्लास्टिक के बने पत्तल, दोना, ग्लास कंटेनर का इस्तेमाल कम करना चाहिए।
साल 2024 के थीम के अनुसार हमने आपने पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक यूज के बारे में बताया लेकिन केवल प्लास्टिक यूज कम करने से ही पर्यावरण संरक्षित नहीं होती इसके लिए हमें जल, प्राकृतिक गैस, कोयला, तेल आदि जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों की भी संरक्षण करनी चाहिए।
वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगनी चाहिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए।
कूड़े, कचरे, अवसाद को नदी में प्रवाहित करने के बजाय डस्टबिन में डालनी चाहिए।
बढ़ती जनसंख्या की वजह से पर्यावरण का अति दोहन होता है। चूंकि जितने ज्यादा लोग होंगे संसाधन की उपयोगिता उतनी अधिक होगी इसलिए जनसंख्या पर नियंत्रण होना आवश्यक है।