बाबा बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री बताय कि कैसे उन पर चोरी के आरोप लगे थे, और वह किस तरह अदालत पहुंच गए थे इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि जज के आगे ऐसा चमत्कार हुआ कि मैं बच गया।
बागेश्वर धाम के बाबा श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने अदालत में जाने की पूरी किस्सा सुनाए और कहा की किस तरह से बयान बाजी की गई और उस दौरान चमत्कार हुआ। बागेश्वर धाम में जब दरबार लगता है तो बाबा मजेदार कहानियां जरूर सुनाते हैं,कहानी ये है – हजरत अली को लेकर टिप्पणी किया गया था तब मुस्लिम संगठन के द्वारा पुलिस को कंप्लेंट किया गया था इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री जी ने एक वीडियो के जरिए माफी मांगा और उस वीडियो में उन्होंने कहा कि मेरा मकसद किसी को आहत करना नहीं था। दरबार में ऐसा होता है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कई बार रोचक कहानी बताते हैं जिससे दर्शकों का दिल और बहलता है। इसी दौरान उन्होंने कैसे कोर्ट का चक्कर लगाए थे यह कहानी बताएं।
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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने दरबार में बताया कि एक बार एक भक्त मेरे पास आया और उसने चोरी के बारे में पूछा इस पर मैं भी उसे आदमी को चोर का नाम बता दिया अब चोर ने पुलिस के सामने मेरा नाम ले लिया और मैं फंस गया पुलिस ने कहा अब चलो बाबा तुम भी। कोर्ट में मिश्रा जी जज थे। उन्होंने मुझसे कहा पूछा कि तुम सच बताओ चोर का नाम तुम्हें कैसे मालूम हुआ क्या तुम भी चोरी के दौरान शामिल थे? इस पर बाबा ने कहा कि श्रीमान देखो ऐसा बिल्कुल भी मत कहो मैं चोरी नहीं करता हूं मैं तो सिर्फ विचार करता हूं और मुझे नाम पता चल जाता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह कोई पुख्ता सबूत तो है नहीं एक काम करो तुम्हें इसका परीक्षा देना होगा।
इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ठीक है मुझे स्वीकार है। फिर बाबा के आगे दो डिब्बा रखा गया और उसमें पूछा गया कि क्या है तब शास्त्री जी ने कहा कि इसके अंदर सोनाटा की घड़ी है जिसका रंग पीला है और कांटा 2:12 पर अटकी हुई है। कोर्ट में उपस्थित लोग हैरान रह गए और उन्हें बाय इज्जत बड़ी कर दिया गया इसके बाद चोर को भी पकड़ा गया और उसने अपनी चोरी को स्वीकार कर लिया उसके बाद से जज भी उनके भक्त हो गए। लेकिन जज ने उन्हें एक रास्ता बताया कि बाबा देखो अगर ऐसा होता है तो कर का नाम माइक पर मत बताना पेपर पर लिख दो और उसके बाद तुम उसे काट दो ऐसे में क्या होगा कि तुम्हारा कोई कुछ नहीं कर पाएगा। आगे बाबा कहते हैं कि तब से हम बड़ी होशियार हो गए और अब ऐसी गलती नहीं करते हैं।