सरहुल आदिवासियों का मुख्य त्यौहार है इसे मुख्य रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्र में मनाया जाता है। सरहुल बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला त्यौहार है इस दिन आदिवासी समुदाय के लोग साल के वृक्ष की पूजा करते हैं जिससे प्रतीत होता है कि आदिवासी समुदाय प्रकृति से बेहद प्रेम करते हैं और वह प्रकृति की सम्मान के रूप में पूजा करते हैं।
आदिवासी समुदाय के बीच सरहुल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन आदिवासी समुदाय के लोग एकत्रित होकर गीत, संगीत और विशेष प्रकार के भोजन का आनंद लेते हैं। सरहुल आने से पूर्व ही आदिवासी समुदाय के लोग इसकी तैयारी में जुट जाते हैं।
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सरहुल पर्व क्यों मनाया जाता है ? इतिहास
सरहुल का इतिहास अत्यंत पुराना है। सदियों से आदिवासी समुदाय इस पर्व को मनाते आ रहे हैं। बताया जाता है कि सरहुल का इतिहास महाभारत जितना पुराना है महाभारत काल से ही इस पर्व को मनाया जाता है।
आदिवासी समुदाय के द्वारा मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक सरहुल है। इस पर्व को आदिवासी समुदाय नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। इस दिन आदिवासी साल के वृक्ष की पूजा करते हैं।
सरहुल में किसकी पूजा होती है ?
सरहुल में प्रकृति की पूजा होती है आदिवासी इस दिन प्रकृति की पूजा करते हैं। इस दिन मुख्य रूप से साल वृक्ष की पूजा होती है। सरहुल का अर्थ सरना होता है सरना का मतलब पवित्र जंगल होता है। इस दिन आदिवासी प्रकृति को बचाने की संकल्प लेते हैं।
सरहुल के दिन से ही आदिवासी समुदाय के लोग नई फसल का उपयोग करना शुरू करते हैं। सबसे पहले इस सीजन में उगाई जाने वाली फसलें चावल, मक्का, साल और अन्य तरह की अनाज की पूजा करते हैं तत्पश्चात वे इन फसलों का इस्तेमाल करते हैं।
2024 में कब है सरहुल ?
सरहुल पूजा की कोई निश्चित तारीख तय नहीं होती है। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तारिख को यह पर्व मनाया जाता है। इस साल 2024 में सरहुल की शुरुआत 11 अप्रैल से है। झारखंड में सरहुल 11 अप्रैल को मनाया जा रहा है।