Sunday, March 23, 2025
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अमीर होने के बावजूद भी झारखंड गरीब क्यों?

नीति आयोग द्वारा सभी राज्यों की रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें झारखंड भी बिहार की तरह गरीब राज्यों में शामिल है। 30% वन से घिरा झारखंड सोने की खान से कम नहीं है। झारखंड ऐसा राज्य है जहां जर्मनी के बाद सबसे अधिक खनिज संपदा है। झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण है फिर भी इसके स्थिति गरीब राज्यों की तरह ही है झारखंड के गरीब होने के कारण क्या है आइए विस्तार पूर्वक जानते हैं।

कुपोषण यहां एक बड़ी समस्या!

साल 2000 में जब झारखंड बिहार से अलग हुआ तब अनुमान लगाया गया कि अब झारखंड की स्थिति में सुधार होगी लेकिन लोगों के अनुमान का बिल्कुल विपरीत हुआ जैसा लोगों ने उम्मीद की थी उससे विपरीत हुआ झारखंड की विकास अभी तक नहीं हो पाई है। झारखंड में इतने खनिज संपदा है फिर भी यहां के लोग गरीबी से नहीं उभर रहे झारखंड बिहार के बाद पूरे भारत में दूसरा सबसे गरीब राज्य है।

यहां ना चिकित्सा सुविधा अच्छी है, ना शिक्षा व्यवस्था बेहतर है और ना ही युवाओं के पास रोजगार है, इसके साथ ही कुपोषण यहां एक बड़ी समस्या है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत के 40% खनिज संपदा झारखंड में मौजूद है फिर भी झारखंड पिछड़ा राज्य है।

नक्सलवाद से आम जनता तक नहीं पहुंच पाती सरकारी लाभ!

झारखंड कोयला के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। कोयले के अलावा यहां आयरन, कॉपर, यूरेनियम, बॉक्साइट, मायका, सिल्वर, ग्रेफाइट, मैग्नेटाइट जैसे अन्य तरह के खनिज संपदा मौजूद है इसके बावजूद भी झारखंड सबसे गरीब प्रदेशों में से है इसका सबसे मुख्य कारण है कमजोर प्रशासन यहां की राजनीतिक व्यवस्था अच्छी नहीं है जिस वजह से यहां पर विकास नहीं हो पाया है। इसके अलावा नक्सलवाद भी बड़ी समस्या है। यहां के 14 जिलों में नक्सलवाद का वर्चस्व अधिक थी जिस वजह से आम जनता तक सरकारी लाभ नहीं पहुंच पाती थी लेकिन कुछ समय बाद झारखंड सरकार ने नक्सलवाद को रोकने के लिए कुछ को पैसे दिए तो कुछ को नौकरी। इसके बाद नक्सलवाद प्रभाव झारखंड में पहले की अपेक्षा कम हुई।

जब तक नेता ईमानदार नहीं होंगे तब तक विकास संभव नहीं!

यहां की स्थिति इतनी खराब है की खेती करने के लिए किसानों के पास पूंजी नहीं है। सरकारी व्यवस्था भी इतनी कमजोर है कि यहां के किसानों को आत्महत्या करना पड़ता है। सरकार यहां के उद्योगपतियों को किसानों के जमीन दे देते हैं जिसके बाद किसान अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते जिस वजह से वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। जब तक राज्य के नेता ईमानदार नहीं होंगे तब तक राज्य की विकास संभव नहीं है। राज्य के नेताओं को झारखंड के विकास के लिए उचित कदम उठाने चाहिए तभी राज्य का विकास संभव है।

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