Bhojpuri News : पवन सिंह और ज्योति सिंह का मामला हर वक्त सुर्खियों में बना रहता है और यह सुर्खियां तब से ज्यादा बनने लगी जब ज्योति सिंह सोशल मीडिया पर आकर आपबीती सुनाने लगी। पवन सिंह से उनके फैंस बहुत प्यार करते हैं लेकिन कहीं ना कहीं उनके फैन के मन में एक बात तो जरूर खटकता है कि पवन सिंह किसी एक के साथ क्यों नहीं रहते हैं। पवन सिंह ने इस प्रश्नों के जवाब दे दिया और उन्होंने अपनी छवि को समाज में और ऊंचा कर लिया है अपने इस फैसले से। आईए जानते हैं इस खबर में कितनी सच्चाई है और इस पर पवन सिंह ने क्या कहा है? Pawan Singh News : यह चर्चा आज सुबह से सुर्खियों में बनी हुई है कि पवन सिंह और ज्योति सिंह अब साथ में रहेंगे। पवन सिंह पर लगे जितने दाग थे उन्होंने इस फैसले से अपने दाग मिटा लिए। हर कोई यह कहता था कि इतना बड़ा घर पवन सिंह क्यों बनवा रहे हैं इसमें कौन रहेगा लेकिन अब उनके फैंस कह रहे हैं कि इसमें पवन सिंह और ज्योति सिंह रहेंगे और फैंस ने तुरंत उनसे यह उम्मीद भी जाता ली की उनके बच्चे भी हो जाए। सोशल मीडिया पर इस खबर को फैलते ही एक बहुत बड़ा चर्च का विषय बन गया है। आपको बता दे की Surya Bhai Official युटुब चैनल पर इस बात की पुष्टि की गई थी और उन्होंने कहा कि उनके पास पवन सिंह के दो नंबर है जिनमें एक नंबर पर ब्लॉक है और एक नंबर से बातचीत होती है। उन्होंने यह दिखाया कि पवन सिंह ने डीपी भी चेंज कर लिया जिसमें पवन सिंह और ज्योति सिंह एक साथ हैं और उन्होंने 2 घंटे पहले अबाउट चेंज किया था उस अबाउट में “जिओ मेरी जान” लिखा हुआ था। बता दे कि इससे पहले पवन सिंह ने अपनी मां के साथ तस्वीर लगाई हुई थी लेकिन अब उनका पर्सनल नंबर पर डीपी चेंज हो गया है इसका क्या संकेत है यह आप लोग खुद तय कीजिए। पवन सिंह और ज्योति सिंह ने इस बारे में क्या कहा? बता दे की पवन सिंह और ज्योति सिंह दोनों की ओर से अभी कोई स्टेटमेंट सामने निकल कर नहीं आया है। उन दोनों में से किन्ही ने अभी तक इस बारे में जानकारी नहीं दी है इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की है। जैसे ही कोई अपडेट आएगी तो हम आपके साथ जरूर साझा करेंगे।
तेजस्वी यादव बनना चाहते थे किक्रेटर बन गए लीडर
जैसे ही बिहार में राजनीति की बात आती है सबसे पहले लालू परिवार को याद किया जाता है। आज हम बात करेंगे लाल यादव के बेटे तेजस्वी यादव के बारे में। तेजस्वी यादव को भी लाल यादव की तरह ही राजनीतिज्ञ माना जाता है। तेजस्वी यादव के बोलने के तरीके , राजनीति करने के तरीके सब उनके पिता से मिलता है। उन्हें राजनीति विरासत में मिली। तेजस्वी यादव एक भारतीय राजनेता हैं एवं राष्ट्रीय जनता दल में इस वक्त अहम भूमिका निभा रहे हैं। तेजस्वी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी के पुत्र हैं। तेजस्वी यादव की आरंभिक जीवन! तेजस्वी यादव का पूरा नाम तेजस्वी प्रसाद यादव है। इनका जन्म 9 नवंबर 1989 ई को हुआ था। इनके जन्म के चार महीने बाद लाल यादव ने मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण किया था। तेजस्वी यादव ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से पूरा कि। तेजस्वी क्लास 8th तक पढ़े हैं इन्हें पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट में रुचि थी इसलिए इन्होंने पढ़ाई छोड़ क्रिकेट ज्वाइन कर लिया। तेजस्वी यादव करियर! तेजस्वी यादव को देश के युवा नेताओं में से एक माना जाता है। तेजस्वी यादव की क्रिकेट में रुचि थी इसलिए इन्होंने 9 वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ क्रिकेट में अपना करियर बनाने को सोचा और वह क्रिकेट खेलने लगे। उन्होंने अपने स्कूली दिनों में कई क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लिया और अपने स्कूल टीम के कप्तान भी बने। उन्हें साल 2009 में दिल्ली के अंडर-19 टीम में चुना गया था। इन्होंने ज्यादा दिनों तक क्रिकेट नहीं खेला उनकी अंतिम क्रिकेट मैच झारखंड एवं त्रिपुरा के बीच कटक में हुई। इनका क्रिकेट में कोई खास प्रदर्शन नहीं रही जिस वजह से इन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया। क्रिकेट छोड़ने के बाद तेजस्वी यादव ने राजनीति ज्वाइन किया। यह वर्ष 2015 में मात्र 26 साल की उम्र में राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से सफलतापूर्वक चुनाव जीता। इसी साल इन्होंने सबसे कम उम्र के उपमुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया। यह 2017 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे इसके बाद साल 2022 में इन्हें नीतीश की सरकार में दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाया गया। तेजस्वी यादव की पत्नी कौन है? तेजस्वी यादव ने 2 दिसंबर 2021 को अपनी फ्रेंड रेचल से शादी किया। रेचल हरियाणा की रहने वाली ईसाई धर्म की है लेकिन इन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। धर्म परिवर्तन के बाद रेचल ने अपना नाम राज्यश्री यादव रख लिया।
देर रात तक जागने से होते हैं अद्भुत फायदें!
अक्सर रात को जगाने को लेकर लोगों के बीच बाद विवाद होता रहता है। कई लोगों का मानना है कि देर रात तक जागने से स्वास्थ्य खराब होती है और कई लोगों का मानना है देर रात तक जागने से फायदे होते हैं। एक बार फिर से यह बहस चर्चे में है। आईए जानते हैं देर रात जागने से फायदे होते हैं या नुकसान। हाल ही में एक शोध के अनुसार पता चला है कि देर रात तक जागने से लोगों के दिमाग तेज होता है और कल्पनाशीलता बढ़ती है। रात को जगाने से बढ़ती है क्रिएटिविटी! कई एक्सपट्र्स का मानना है कि एक इंसान के सोने जागने का नियम दिन और रात से नहीं होता बल्कि उसके लाइफस्टाइल से होता है। अगर कोई रातों को काम करता है तो वह दिन में पर्याप्त नींद ले सकता है और कोई दिन में काम करता है तो वह रातों को पर्याप्त नींद ले सकता है। सबकी अपनी अलग-अलग धारणा है लेकिन मैं आपको बता दूं कि अगर आप रात के जागने वाले में से हैं तो यह एक आम बात है। अगर आप रात को कम कर दिन में पर्याप्त नींद ले रहे हैं तो इससे आपकी स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ेगी। एक एक्सपर्ट का मानना है कि रात को जागने से क्रिएटिविटी बढ़ती है इंसान दुनिया भर के भटकाव से बचता है और इससे स्वास्थ्य पर भी कोई खास असर नहीं पड़ता। अगर रात को काम करके दिन में पर्याप्त नींद ले ली जाए तो स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ता। रात को जगाने के दिलचस्प मनोवैज्ञानिक तथ्य! अगर आप रात में जागने वाले इंसान हैं और लोग आपको उल्लू कहते हैं तो आप दुखी ना हो बल्कि खुश हूं क्योंकि मनोविज्ञान के अनुसार रात में जागने वाले इंसान को बुद्धिमान माना जाता है। मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार तथा उसके मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन होता है। मनोविज्ञान के अनुसार रात में जागने वाले इंसान ज्यादा बुद्धिमान होता है। एक अध्ययन में पता चला है कि जो लोग देर से सोते एवं जागते हैं वे लोग ज्यादा बुद्धिमान होते हैं।
Yogi Adityanath biography: मात्र 21 साल की उम्र में बन गए सन्यासी!
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 21वें एवं वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। इन्होंने यूपी के लगातार दो बार मुख्यमंत्री बन इतिहास रचा है क्योंकि यह यूपी में पहली बार हुआ है कि एक ही उम्मीदवार ने दो बार मुख्यमंत्री पद से जीत हासिल की हो। योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री के साथ साथ गोरखनाथ मंदिर के महंत , भारतीय हिंदू संत एवं हिंदी मैगजीन योगवाणी के चीफ एडिटर भी हैं। आरंभिक जीवन एवं परिवार! योगी आदित्यनाथ जी का जन्म 5 जून 1972 ई को उत्तराखंड अब उत्तर प्रदेश के पौड़ी गढ़वाल जिले में राजपूत परिवार में हुआ था। इनका मूल नाम अजय सिंह बिष्ट था लेकिन जब से इन्होंने सन्यासी जीवन की शुरूआत कि तब से इन्हें योगी आदित्यनाथ के नाम से जाना जाने लगा। इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट एवं माता का नाम सावित्री देवी है। 20 अप्रैल 2020 को उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। इनके तीन बहन एवं तीन भाई हैं। योगी आदित्यनाथ शिक्षा! योगी आदित्यनाथ ने अपनी आरंभिक शिक्षा टिहरी गजा के स्थानीय स्कूल से प्राप्त की। आगे की पढ़ाई हेतु इन्होंने श्री भारत मंदिर इण्टर कॉलेज में दाखिला लिया एवं उच्च शिक्षा हेतु श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। योगी आदित्यनाथ मैथमेटिक्स से वहां बीए सी की पढ़ाई की। बैचलर की डिग्री प्राप्त करने के बाद योगी आदित्यनाथ जी ने एमएससी की पढ़ाई के लिए दाखिला ले लिया था लेकिन उस समय राम मंदिर के लिए हो रहे आंदोलन की वजह से इनका ध्यान पढ़ाई से हट गया और वे आंदोलन में उतर गए। योगी आदित्यनाथ राजनीतिक जीवन! योगी आदित्यनाथ जी को राजनीति में इंटरेस्ट कॉलेज के दिनों से ही थ। इन्होंने कॉलेज के दिनों से ही एवीबीपी ज्वाइन किया था उस समय एबीवीपी के उभरते लीडर में से इनका नाम भी लोकप्रिय हो गया। योगी आदित्यनाथ एबीवीपी से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन इन्हें टिकट नहीं मिला जिस वजह से इन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई लेकिन वहां इन्हें हार हासिल हुई। योगी आदित्यनाथ जी राम मंदिर निर्माण के लिए पहले से ही पक्ष में थे और जब यह कॉलेज में पढ़ाई करते थे तभी राम मंदिर मूवमेंट तेज हो गई जिस वजह से इन्होंने पढ़ाई छोड़ राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में भाग लिया। इस दौरान उनकी मुलाकात महंत अवैद्यनाथ जी से हुई जिन्हें वह अपना गुरु मानते हैं। महंत अवैद्यनाथ जी उस समय गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी थे। योगी आदित्यनाथ जी ने अवैद्यनाथ जी से मिलकर इतने प्रभावित हुए की संपूर्ण जीवन उनके शिष्य बनाकर बिताने का निर्णय ले लिया। मात्र 21 साल की उम्र में ही इन्होंने सांसारिक जीवन छोड़ सन्यास ले लिया। योगी जी के इस विचार से अवैद्यनाथ जी भी उनसे प्रभावित हो उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और उनके आश्रम की संपूर्ण जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ जी पर सौंप दिया। ऐसे की ऑफिशियल पॉलिटिक्स कैरियर की शुरुआत! अवैद्यनाथ जी प्रधान पुजारी होने के साथ-साथ एक पॉलिटिशियन भी थे इसलिए उन्होंने योगी आदित्यनाथ को भी पॉलिटिक्स से जोड़ा। अवैद्यनाथ जी बीजेपी से गोरखपुर से चार बार सांसद रह चुके थे। साल 1998 में उन्होंने योगी जी को गोरखपुर से लोकसभा के चुनाव लड़ने को कहा योगी जी भला अपने गुरु की बात कैसे टालते इस प्रकार उन्होंने अपने गुरु जी की बात मान गोरखपुर से चुनाव लड़ने को तैयार हो गए। इस प्रकार उनकी ऑफिशियल पॉलिटिक्स कैरियर की शुरुआत हुई हालांकि उन्हें पॉलिटिक्स में पहले से ही रुचि थी और वह इस क्षेत्र में कार्य भी कर चुके थे। योगी आदित्यनाथ जी ने पहले ही चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल की इसके साथ ही उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया। योगी आदित्यनाथ जी ने साल 1998 से 2017 तक लगातार पांच बार गोरखपुर से सांसद पद से जीत हासिल किए। योगी आदित्यनाथ की पॉलीटिकल करियर का टर्निंग पॉइंट तब हुआ जब साल 2017 में विधानसभा की चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई और वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने वर्तमान में भी योगी आदित्यनाथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। गायों से बेहद प्रेम करते हैं योगी जी! योगी आदित्यनाथ सदा जीवन जीना पसंद करते हैं। वह गाय , बिल्ली एवं कुत्ता जैसे जानवरों से बहुत प्रेम करते हैं। योगी आदित्यनाथ अपने काम को पूरा करने के बाद गौशाला जाकर गायों की सेवा करते हैं। योगी जी नाश्ता करने से पूर्व गायों को चार देते हैं।
इंडोनेशिया के लोग मरे हुए लाश के साथ सोते हैं और करते हैं बातें !
मैं आपको इंडोनेशिया (Indonesia) की ऐसे अजीबोगरीब रीति रिवाज के बारे में बताऊंगा जिसे जान आपके होश उड़ जाएंगे। इंडोनेशिया में रहने वाले लोग की संस्कृति ऐसी है जो कहीं और आपको देखने को नहीं मिलेगा। ऐसी संस्कृति जो दुनिया के किसी भी कोने में नहीं है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इंडोनेशिया (Indonesia) में लोग मुर्दों के साथ सोते हैं और उनसे बातें भी करते हैं। आपने ममी के बारे में तो सुना ही होगा उसे पिरामिड में बंद कर अलग जगह रखा जाता है। लेकिन यहां पर ऐसा नहीं है यहां पर सभी अपने घरों में ममी को रखते हैं। हर साल बॉडी की करते हैं क्लीनिंग दरअसल यह कहानी इंडोनेशिया (Indonesia) की एक गांव की है जहां पर लोग मरे हुए शव को जलाते या दफनाते नहीं बल्कि उसे ऐसे ही कपड़े में बंद करके रख देते हैं। हर इंसान के घर डेड बॉडी रहता है। ये लोग मुर्दे को हर साल क्लीन करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। एक तरह से यह लोग शिरोमणि की तरह मनाते हैं। यह भी पढ़े: Jharkhand Kyo famous Hai: झारखण्ड क्यों फेमस है ? अपने देश में एक इंसान एक बार मर गया सो मर गया। लेकिन यह लोग का कहना है कि मरने के बाद भी इंसान जीवित रहता है। ये लोग उसे बीमार समझते हैं और उसे भी परिवार के एक सदस्य बना कर रखते हैं। ऐसे करने से यहां के लोग बन जाते हैं करोड़पति यह लोग मर जाने के बाद मरे हुए लोग को हर साल क्लीन करते हैं और कपड़ा बदलते हैं। यह प्रक्रिया सदियों से होते आया है। इस गांव के रहने वाले लोग पहले शिकार कर अपना पेट भरते थे। बताया जाता है कि 2000 साल पहले गांव वाले लोग शिकार करने गए हुए थे जहां इन्होंने तीन मुर्दा को देखा एक इंसान को मुर्दों पर इतना दया आया कि वह अपने घर में उसे लेकर चला गया। उस आदमी को लगा कि अभी भी यह जिंदा है इसलिए उसने उसे खाना दिया और उसके बॉडी को क्लीन किया। हर साल वह इसी तरह से उसका बॉडी क्लीन करता रहा अंत में जब उसे वह दफनाने गया और जब दफनाकर वह घर आया तो कुछ ही दिनों में वह करोड़पति बन गया। तब से इस गांव के लोग घर पर मुर्दा रखने की प्रथा बना लिए इसलिए गांव वासी अपने घर में मरे हुए लोगों को जलाने या दफनाते नहीं बल्कि उसे घर में ही रखते हैं।
Hundru waterfall Ranchi: झारखंड के भूतिया जलप्रपात, कई लोगों की गई है जान!
हुंडरू जलप्रपात झारखंड की दूसरी सबसे ऊंची जलप्रपात है। कहा जाता है कि यहां भूत प्रेत का वास होता है कई लोगों की तो जानें भी गई है। हुंडरू जलप्रपात रांची से 48 किलोमीटर दूर स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है। यह झारखंड का दूसरा सबसे ऊंचाई से गिरने वाला जलप्रपात है जो अपनी खूबसूरती के लिए झारखंड सहित पूरे देश में प्रसिद्ध है। हुंडरू जलप्रपात बीहड़ जंगलों के बीच मौजूद है इसकी ऊंचाई 349 फिट है। क्यों प्रसिद्ध है हुंडरू जलप्रपात? हुंडरू जलप्रपात झारखंड का बेहद खूबसूरत पिकनिक स्पॉट्स है। यहां प्रत्येक वर्ष लाखों लोग भ्रमण हेतु आते हैं। अगर आप भी इस जलप्रपात का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो आपको बता दूं कि यह पिकनिक के लिए झारखंड की सबसे बेस्ट जगह में से एक है। पहाड़ों से गिरता हुआ पानी का दृश्य बहुत ही लुभावनी होती है इसे देख आप प्रकृति का आनंद उठा सकते हैं। अगर आप हुंडरू जलप्रपात जाना चाहते हैं तो आपको बता दूं कि इसे करीब से देखने के लिए आपको सीढ़ियों से गुजर कर लंबा रास्ता तय करना होगा। वर्षा के मौसम में इस जलप्रपात की सुंदरता और भी बढ़ जाती है ज्यादातर लोग यहां वर्षा ऋतु में जाना पसंद करते हैं। इसके अलावा यहां दिसंबर और जनवरी माह में भी लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। क्यों कहा जाता है इसे भूतिया जलप्रपात? आजकल भूत प्रेत पर लोग भरोसा नहीं करते भूत प्रेत को को अंधविश्वास मानते हैं। लेकिन कई जगह लोग इसमें भरोसा करते हैं और उनका मानना होता है कि भूत प्रेत की वजह से उनकी जान भी जाती है। झारखंड के रांची जिले में एक ऐसा ही जलप्रपात है जहां लोगों का मानना है कि वहां भूत प्रेत का वास होता है। झारखंड के रांची जिले में मौजूद हुंडरू जलप्रपात को लोग भूतिया स्थान मानते हैं। इसे भूतिया झरना के नाम से भी जाना जाता है। शाम 5:00 बजे के बाद वह स्थान पूरी तरह से खाली कर दिया जाता है। लोग इस स्थान को भूतिया स्थान इसलिए कहते हैं क्योंकि कई बार इस झरने में डूब कर लोगों की मौत हो गई है। यहां प्रतिदिन माइक से अनाउंसमेंट किया जाता है कि 5:00 बजे के बाद इस स्थान को छोड़ दें अगर आप रुकते हैं तो इसकी जिम्मेवारी आपको खुद लेनी पड़ेगी। शाम 4:00 बजे के बाद जलप्रपात देखने हेतु एंट्री बंद कर दी जाती है।
Sheikhpura dighvara saksena bridge: शेखपुरा दिघवारा सक्सेना पुल से गंगा नदी की प्रदूषण होगी कम!
बताया जा रहा है कि साल 2026 तक शेखपुरा दिघवारा सक्सेना पुल जल्द ही तैयार हो जाएगा। बता दें कि यह पुल सिक्सलेन है। गंगा नदी पर बन रहा यह पुल साल 2026 तक बनकर पूरा हो जाएगा जिससे बिहार की राजधानी पटना से सारण सिवान और गोपालगंज की दूरी कम हो जाएगी। पुल निर्माण के बाद कम समय में ही इन जगहों पर आया जाया जा सकेगा। शेखपुर दिघवारा सक्सेना पुल 2021 में बनना प्रारंभ हुआ था और संभावना जताया जा रहा है कि यह पूरी तरह से साल 2026 में बनकर तैयार हो जाएगा बिहार के पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा! पुल की लंबाई 14.52 किलोमीटर है। पुल के निर्माण हो जाने के बाद पटना से सारण , सिवान और गोपालगंज की दूरी कम हो जाएगी। पुल के निर्माण से बिहार की विकास होगी और वहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। शेखपुरा दिघवारा सक्सेना पुल के निर्माण से उस क्षेत्र के लोगों को बहुत ही ज्यादा फायदा होने वाली है। उन क्षेत्रों में व्यापार वाणिज्य की सुविधा अच्छी हो जाएगी। साथ ही साथ गंगा नदी के प्रदूषण भी कम होगी क्योंकि फुल निर्माण के बाद नदी में नावों की आवाजाही काम होगी तो प्रदूषण अपने आप काम हो जाएगा। पुल निर्माण से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। पुल से जुड़े रोचक तथ्य! पुल नदी तल से 22 मीटर ऊंची है। बिहार में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और बिहार की विकास होगी। पुल बन जाने के बाद पटना , सारण , गोपलगंज और सिवान जिलों की यातायात सुविधा बेहद अच्छी हो जाएगी क्योंकि कम दूरी तय करके ही इन जगहों पर आसानी से आया जाया जा सकेगा। पटना और सारण जिलों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगी। 2021 में पुल की नींव रखी गई थी 2026 तक यह बनकर तैयार हो जाएगी।
Hemant Soren biography: हेमंत सोरेन का जीवन परिचय!
हेमंत सोरेन झारखंड के पांचवी मुख्यमंत्री थे वे दो बार झारखंड के मुख्यमंत्री बन कर झारखंड की सेवा किए। हेमंत सोरेन को राजनीति इन्हें विरासत में ही मिली क्योंकि इनके पिता खुद राजनीतिज्ञ हैं। झारखंड अलग होते समय इन्होंने आंदोलन में भाग लिया था उस दौरान झारखंड को बिहार से अलग राज्य बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाया था। वर्तमान में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हैं। आरंभिक जीवन! हेमंत सोरेन का जन्म बिहार अब झारखंड की रामगढ़ जिले के नेमारा में हुआ था। इनके पिता शिबू सोरेन हैं जो खुद एक राजनीतिज्ञ है और वे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इनकी मां का नाम रूपी सोरेन है इनके दो भाई एवं एक बहन है। इन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पटना हाई स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा हेतु रांची के बीआईटी मेसरा कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन बिना बीटेक की डिग्री हासिल किए बाहर हो गए। हेमंत सोरेन की राजनीतिक कैरियर! हेमंत सोरेन ने राजनीति में आने के बाद साल 2005 में झारखंड से चुनाव लड़ा लेकिन वह स्टीफन मरांडी से हार गए। साल 2009 में राज्यसभा से उन्हें सदस्य के रूप में चुना गया। हेमंत सोरेन प्रथम बार झारखंड के मुख्यमंत्री साल 2013 में बने। साल 2013 में 13 जुलाई से पहले झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू था इसके बाद राष्ट्रपति शासन हटाने के बाद मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन को नियुक्त किया गया। इन्होंने 15 जुलाई 2013 को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इन्होंने ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री का कार्यभार नहीं संभाल यह साल 2013 से साल 2014 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। महागठबंधन की सरकार में इन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया उस समय महागठबंधन सरकार में राजद , झामुमो एवं कांग्रेस पार्टी शामिल था यह 2019 से लेकर 31 जुलाई 2024 तक मुख्यमंत्री रहे। 31 जुलाई को जमीन घोटाले मामले में अपराधी के तौर पर इन्होंने झारखंड मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद चंपई सोरेन को झारखंड का अगला मुख्यमंत्री बनाया गया। (Hemant Soren) हेमंत सोरेन पत्नी! हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन हैं। इन दोनों की शादी साल 2006 में हुई थी। कल्पना उड़ीसा की रहने वाली हैं। इनके दो बेटे हैं। कल्पना सोरेन बिजनेस वूमेन है साथ ही साथ यह एक प्ले स्कूल का भी संचालन करती हैं।
क्या आपको भी है पीरियड्स की ये प्रोबलम, पीसीओडी पीसीओएस के लक्षण एवं उपचार!
कई बार लोग पीसीओडी और पीसीओएस समस्या को एक समान मानते हैं। लेकिन दोनों अलग-अलग प्रकार की समस्याएं हैं। पीसीओडी में अधिक बाल झड़ना , वजन बढ़ाना , अनियमित पीरियड्स आना लक्षण है जबकि पीसीओएस में अचानक वजन बढ़ाना , उल्टी आने जैसा अनुभव करना , अधिक वजन बढ़ाना आदि लक्षण होते हैं। पीसीओएस का लक्षण! अचानक वजन बढ़ाना। वजन घटाने में कठिनाई होना अनियमित पीरियड्स। चेहरे एवं शरीर के अन्य हिस्से पर अधिक बाल आना। मूड स्विंग होना। डिप्रेशन या एंजाइटी। बिना शारीरिक श्रम किए थकान महसूस करना। चेहरे पर मुंहासे आना एवं चेहरा ऑइली हो जाना। पीसीओएस का उपचार! ज्यादातर फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए जैसे हरी सब्जी गोटा अनाज आदि। दिनचर्या में व्यायाम ऐड करना चाहिए ध्यान और प्राणायाम से पीसीओएस की समस्याएं दूर होती है। डॉक्टर से चेकअप करवाने के बाद दवा लें। इसमें नियमित आहार लेना चाहिए। पीसीओडी का लक्षण बिना किसी कारण का इरिटेशन होना। अत्यधिक बाल झड़ना , बाल पतला होना। अत्यधिक थकान महसूस करना उदास महसूस करना। अक्सर उल्टी आने जैसा अनुभव करना। भोजन करने के बाद सीने में जलन होना या फिर ऐसे सामान्य स्थिति में भी सीने में जलन होना। पीसीओडी का उपचार! अगर आप में पीसीओडी का पहचान हो जाता है तो आपको अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। संतुलित आहार बहुत जरूरी होता है इसलिए संतुलित आहार लें। अपने दिनचर्या में व्यायाम ऐड करें। पर्याप्त नींद लें। डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवा का सेवन करें।
काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी पांच रहस्यमई बातें, जिसे आपने पहले कभी नहीं सुना होगा!
काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल माना जाता है। यह हिंदू धर्म के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर वाराणसी का सबसे प्रमुख मंदिर है। प्रत्येक वर्ष देश भर के श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन हेतु आते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आपको काशी से जुड़े पांच ऐसी रहस्यमई बातें बताऊंगा जो आपने कभी नहीं सुना होगा। 1, अहिल्याबाई होल्कर के सपने में आए थे भगवान शिव! मुगल काल में मंदिर को कई बार नष्ट किया गया और लूट गया जिसके बाद अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। अहिल्याबाई ने मंदिर निर्माण के लिए तब सोचा जब उनके सपने में साक्षात भगवान शिव आए थे। 2, अकबर ने मंदिर बनाने की दी थी अनुमति! मुगल काल में कई बार इस पर आक्रमण हुआ और इस मंदिर को लूट गया। हालांकि अकबर ने मूल मंदिर निर्माण के लिए आदेश दिया और मंदिर का निर्माण भी हुआ लेकिन बाद में औरंगजेब ने फिर से इस मंदिर को नष्ट करवा दिया और वहां एक मस्जिद बनवा दिया जिसका नाम ज्ञानवापी रखा गया। 3, त्रिशूल के नोक पर भगवान शिव करेंगे काशी की रक्षा! कहा जाता है कि जब दुनिया अंत के कगार पर होगी तब भगवान शिव काशी की रक्षा अपने त्रिशूल की नोक पर करेंगे। भगवान शिव के काशी की रक्षा करने का वर्णन हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलता है। 4, भगवान शिव किए थे यहां निवास! कहा जाता है कि भगवान शिव कुछ समय के लिए इस मंदिर में निवास किए थे। भगवान शिव को काशी के संरक्षक कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब पृथ्वी की निर्माण हो रही थी तो सबसे पहले सूर्य की प्रकाश काशी विश्वनाथ मंदिर पर पड़ी थी। 5, काशी के लोग होते हैं बुद्धिमान! काशी के लोग बहुत ही बुद्धिमान होते हैं यहां के कई लोग नेता , अभिनेता , संगीतकार बने हैं। कहा जाता है काशी प्राचीन संगीत घरानों में से एक है। काशी को कलाकारों की नगरी कहा जाता है।