स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग के द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं इस नियम को ही आचार्य संहिता कहा जाता है। अगर कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आचार्य संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करती है।
अगर कोई उम्मीदवार या चुनावी व्यक्ति आचार संहिता का उल्लंघन कर देता है और उसे चुनाव आयोग यह कह दे कि अब आपको चुनाव नहीं लड़ना है तो वो व्यक्ति चुनावी मैदान से बाहर हो जाएगा या फिर जेल का भी हवा खाना पड़ सकता है अगर चुनाव आयोग ने फैसला ले लिया है तो।
टीएमसी के नेता ने प्रधानमंत्री पर लगाया आरोप
अपोजीशन में टीएमसी के नेता साकेत गोखले के द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री ने एक इलेक्शन रैली में वायु सेना के हेलीकॉप्टर का उपयोग करके मॉडल कोड आफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है और एक ऐसा ही आप इंदिरा गांधी जी पर लगा था रायबरेली से जब वो चुनाव लड़ी थी कि सरकारी मशीनरी इलेक्शन में उपयोग किया था जिसके चलते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को रद्द कर दिया था परिणाम इसका यह निकला कि वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची सुप्रीम कोर्ट पहुंच करके उन्होंने अपने खिलाफ फैसले पर सुनवाई करने की मांग की हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जब उन्हें राहत नहीं दी तो उसके अगले ही दिन 25 जून के दिन भारत में इमरजेंसी लगा दी गई थी।
इंदिरा गांधी ने किया था सरकारी मशीनरी का उपयोग इसलिए लगे थे एमरजैंसी।
आचार संहिता के दौरान चुनावी प्रचार हेतु सरकारी मशीनरी का उपयोग नहीं किया जाता है परंतु इंदिरा गांधी ने सरकारी मशीनरी का उपयोग किया था जिसके चलते उनकी कुर्सी गवाने की नौबत आ गई थी उसे दौरान उन्होंने बंगाल के मुख्यमंत्री से मदद मांग ली और उन्होंने इमरजेंसी का सलाह दिया और वह इमरजेंसी लगा दी थी जिसमें कई बड़े-बड़े नेता को जेल में डाला गया था जैसे लालकृष्ण आडवाणी ,अटल बिहारी वाजपेई, मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर जैसे बड़े-बड़े नेता। प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी 17 तारीख के दिन मध्य प्रदेश के एक चुनावी रैली के दौरान एयरक्राफ्ट का यूज किया है आईए जानते हैं इसके बारे में।
क्या प्रधानमंत्री को कुर्सी गवानी पड़ेगी।
मैंने ब्रीफ में ही जानकारी इसलिए बताया क्योंकि आपको यह पता चल जाए कि उसे समय आरोप था इंदिरा गांधी जी के ऊपर की उन्होंने सरकारी मशीनरी का उपयोग किया है। इलेक्शन कमीशन अल्लाहाबाद हाई कोर्ट ने उनको उनका संसदीय कार्यक्षेत्र मना कर दिया प्रधानमंत्री का पद छीन लिया हालत देश में इमरजेंसी के रूप निकल कर आई ।अब बड़ा सवाल है क्या प्रधानमंत्री सरकारी ऑफिसर्स का उपयोग नहीं कर रहे अगर ऐसा है तो 17 तारीख के दिन भी कुछ ऐसा इशारा तो नहीं कर रही है जो आने वाले समय में चिंता का कारण बने ,उत्तर है “नहीं “। ऐसा इसलिए है क्योंकि चुनाव आयोग ने इंस्ट्रक्शन संख्या 79 में एयरक्राफ्ट के उसे को लेकर के यह स्पष्ट किया हुआ है कि देश के प्रधानमंत्री को चुनावी प्रचार के दौरान भी एयरक्राफ्ट का उपयोग अलाउड है यह 1999 का आदेश है साथ ही साथ या इंस्पेक्शन नंबर 83 हैं जिसमें ऑन एक्सेंप्शन टू द प्राइम मिनिस्टर इन ऑफिस मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट के दौरान एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर के यूज के ऊपर यह निर्देश है यानी मुख्यमंत्री भी हेलीकाप्टर सरकारी यूज नहीं कर सकते केवल और केवल प्रधानमंत्री को यह परमिशन है और आज से नहीं 2008 का यह आदेश हैं और 1999 का यह आदेश हैं यदि प्रधानमंत्री के खिलाफ जो लोकसभा में मॉडल कोड आफ कंडक्ट की व्याख्या को वायलेट करने का जो आरोप है वह इस आधार पर निराधार हो जाता है लेकिन उसका कोई महत्व नहीं बचता है ।
आचार संहिता लगने के बाद क्या नहीं करना चाहिए
आचार संहिता लगने के बाद किसी भी प्रकार का सरकारी घोषणाएं योजनाओं का घोषणा परियोजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास या भूमि पूजन के कार्यक्रम नहीं होता है।
चुनावी प्रचार हेतु सरकारी गाड़ी सरकारी बंगले या फिर सरकारी विमान का प्रयोग करना निषेध है।
किसी भी प्रकार की चुनावी सभा समर्थक ऑन या प्रत्याशी के रैली या फिर जुलूस निकालने के लिए पुलिस से अनुमति मांगनी होगी।
कोई भी राजनीतिक दल धर्म या जाति के नाम पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है क्योंकि इस तरह के वोट मांगने से तनाव पैदा होने का भरपूर चांस होता है।
बिना किसी के अनुमति के किसी के जमीन, परीसर की दीवारें ,घर पर पार्टी के झंडे झंडे या बैनर नहीं लगा सकते हैं। इस दौरान दुकान भी बंद होती है वोटरों को शराब या पैसा बांटने पर सख्त पाबंदी होती है।