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अयोध्या राम मंदिर का पूरा इतिहास,क्यों मुसलमानों ने इसे ध्वस्त किया था!

अयोध्या हिंदुओं का एक धार्मिक केंद्र रहा है। यहां का एक अनोखा और विचित्र इतिहास है प्रत्येक हिंदू के लिए यह जगत स्वर्ग जैसा है क्योंकि यहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जन्म हुआ था। भगवान राम यहां के राजा थे प्रभु श्री राम जी के जन्म स्थान को हमेशा के लिए याद करने के लिए यहां राम मंदिर का निर्माण करवाया गया था। परंतु फिर उस मंदिर को तोड़ दिया गया लेकिन कई साल बाद फिर से प्रभु श्री राम मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया परंतु इससे पहले यह मंदिर कैसा था और किसने बनवाया था यह विस्तार से जानते हैं।

प्रभु श्री राम एक हिंदू देवता हैं जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं हिंदू धर्म में प्रभु श्री राम को सर्वश्रेष्ठ राजा के रूप में जाना जाता है। प्राचीन महाकाव्य के अनुसार प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसलिए अयोध्या में उनके जन्म स्थान पर मंदिर बनाने का निर्णय लिया गया और मंदिर बनवाया गया।

बाबर द्वारा मुगल साम्राज्य की नींव रखे जाने के बाद भारत के कई मंदिरों को ध्वस्त किया गया जिसमें से एक राम मंदिर भी था। बाद में वहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद बनवा दिया जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाने लगा। बाबर ने 1527 ईस्वी में राम मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया और 1528 ईस्वी में बाबर की सेनापति मीर बाकी मंदिर को ध्वस्त करने आ पहुंचा। उस समय मंदिर के महंत स्वामी श्यामानंद जी थे उन्होंने वहां के लोगों के साथ मिलकर मंदिर को बचाने का प्रयत्न भी किया था लेकिन बाबर के बड़े सेना के समक्ष राम भक्त नहीं टिक पाए और वह वीरगति को प्राप्त हुए। बताया जाता है कि इस मंदिर की रक्षा के लिए 174000 हिंदू वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनके वीरगति प्राप्त होने के बाद अंततः मंदिर को ध्वस्त करवा दिया गया और वहां मस्जिद बनवा दिया गया। जिसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया। मंदिर के ध्वस्त होने के बाद बार-बार राम भक्तों ने मंदिर का पुनर्निर्माण करने के लिए प्रयत्न किया लेकिन उनका प्रयास असफल रहा अकबर के शासनकाल में भी कई बार राम भक्तों ने मंदिर का पुनर्निर्माण के लिए आंदोलन किया इसके बाद अकबर ने वहां एक चबूतरा पर छोटा सा राम मंदिर बनवा दिया बाद में उस मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वा दिया था।

सन 1813 में हिंदुओं ने अंग्रेजों से मंदिर निर्माण के लिए अनुरोध किया इसके बाद अंग्रेज उनके कहने पर मंदिर को लेकर शोध किया जिसमें पता चला कि यहां वास्तु कला है जो मंदिर होने का प्रमाण दर्शाता है लेकिन उस वक्त अंग्रेज उतने बलशाली नहीं थे जिस वजह से वह हिंदुओं को मंदिर बनाने में सहायता ना कर सके।

बाबरी मस्जिद बनने के बाद मुसलमान दावा करने लगे की यहां पर हमेशा से मस्जिद ही था वही हिंदू समुदाय के लोगों का कहना था कि यहां प्रभु श्री राम का मंदिर था जिसे ध्वस्त करवा कर मस्जिद का निर्माण करवाया गया। इस मुद्दे को कोर्ट तक ले जाया गया जिसके बाद पुरातात्विक समूह बनाकर शोध किया गया जिसके बाद पाया गया कि यहां 5000 साल पुराना मंदिर था जिसे ध्वस्त करवा दिया गया था।

जोसेफ टिफेनथेलर ने अपनी पुस्तक डिस्क्रिप्टियो इंडिया में लिखा है, राम कोटा मंदिर जिसे अयोध्या का किला कहा जाता है एवं बेदी जहां प्रभु श्री राम का जन्म स्थान माना जाता है उसे नष्ट करवा के मस्जिद का निर्माण करवाया गया था। पहली बार 1853 ईस्वी में धार्मिक हिंसा की घटना सुनने को मिलती है 1858 में ब्रिटिश प्रशासन में विवादित स्थल पर धार्मिक अनुष्ठान करने से मना कर दिया जिसके बाद मस्जिद के बाहर धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंच बनवाया गया।

बहुत समय बाद 1934 में एक बार फिर से वहां दंगा हुआ बाबरी मस्जिद के दीवारों को तोड़ दिया गया। जिसे अंग्रेजी शासन ने बनवा तो दिया लेकिन हिंदुओं के विरोध किए जाने पर मुसलमान को वहां नमाज पढ़ने से रोक दिया गया। इसके बाद मुसलमान वहां दंगे करने लगे।

1949 में अचानक मंदिर के अंदर से घंटी बजाने की आवाज आती है और वहां प्रभु श्री राम की मूर्ति प्रकट होने की खबर आती है जिसे मुस्लिम अफवाह बताते हैं और कहते हैं कि हिंदुओं ने जानबूझकर वहां श्री राम की मूर्ति रखी है। इसके बाद दंगा इतना बढ़ जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को वहां से प्रभु श्री राम की मूर्ति हटाने का निर्णय लेना पड़ता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुसलमान का पक्ष लेते हुए अयोध्या के जिलाधीश के के नायर से मंदिर से मूर्ति हटाने को कहा लेकिन केके नायर इस बात से इनकार कर दिए। इसके बाद फिर एक बार फिर से पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा उन्हें मूर्ति हटाने को कहा गया जिसके बाद केके नायर ने इस्तीफा दे दिया और वहां एक जालीनुमा दरवाजा लगाने को कहा यह बात पंडित जवाहरलाल नेहरू को पसंद आई और उन्होंने ऐसा ही करने का आदेश दे दिया।

1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकालने का निर्णय लिया उनके इस निर्णय पर बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दे दिया। उनके गिरफ्तारी के बाद भी रथ को अयोध्या ले जाया गया। जिस दिन रथ अयोध्या पहुंचने वाली थी उस दिन पुलिस के मना करने के बावजूद भी राम भक्तों ने बाबरी मस्जिद पर हिंदू ध्वज फहराया था। 3 दिन के बाद अयोध्या के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने राम भक्तों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया जिसमें सैकड़ो राम भक्तों की जान चली गई। 1992 ईस्वी में राम भक्तों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया इसके बाद पूरे देश में हिंदू मुस्लिम दंगा फैल गया। उस दौरान हजारों राम भक्तों की जानें गई थी। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कल्याण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उस दिन वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

9 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को राम जन्मभूमि ट्रस्ट को दे दिया। 5 फरवरी 2020 को राम जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन हुआ इसके बाद मंदिर के निर्माण आरंभ हुआ और अंततः 22 जनवरी 2024 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर में रामलाल की मूर्ति स्थापित कर अयोध्या में भव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया।

uttamraj.com देश विदेश और लोकल न्यूज़ को प्रकाशित करता है 

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