2024 की लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत हुई है, जिसमें नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अहम भूमिका रही, ऐसे में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आरक्षण जैसे मुद्दे पर निर्णय ले सकते हैं लेकिन आपको बता दें कि आरक्षण की मांग पर बिहार के मुख्यमंत्री को पटना हाई कोर्ट से बड़ा झटका मिला है.
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जब राजद के साथ गठबंधन में थे तभी इन्होंने जाति आधारित गणना करवाने के बाद यह निर्णय लिया था कि आरक्षण की सीमा 50% से बढ़कर 65% कर दी जाए उनके इसी मांग को पटना हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया है.
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पटना हाई कोर्ट से झटका मिलने के बाद नीतीश कुमार को केंद्र सरकार से मदद मिल सकती है भले ही हाई कोर्ट ने उनके 65% आरक्षण वाले मांग को ठुकरा दिया है लेकिन अभी भी उनके पास एक और मौका है क्योंकि उनके 12 सांसदों ने चुनाव जीती ऐसे में नीतीश कुमार केंद्र सरकार पर आरक्षण को लेकर दबाव बना सकते हैं.
वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा 50% आधारित की थी, केंद्र सरकार अगर नौवीं अनुसूची को संशोधित करती है तो यह व्यवस्था स्थाई हो पाएगी.
चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री ने 400 पार का नारा लगाया था, जिस पर विपक्ष दल ने एनडीए पर आरोप लगाया था कि केंद्र में अगर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई में भाजपा दो तिहाई बहुमत से जीतती है, तो संविधान संशोधन पर आरक्षण को समाप्त कर दिया जाएगा हालांकि नरेंद्र मोदी कभी इस बात से सहमत नहीं हुए थे कि वे आरक्षण को समाप्त कर देंगे.