मथुरा की पावन धरती पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। आज भी मथुरा वासी भगवान श्री कृष्ण के गुणगान गाते हैं। मथुरा जिले के वृंदावन में बना प्रेम मंदिर प्रेम का प्रतीक क्यों माना जाता है? क्यों प्रेमी प्रेमिका इस मंदिर को खास मानते हैं एवं यहां से जुड़ी कई तरह की रोचक बातें जानने के लिए बने रहे अंत तक।
प्रेम मंदिर क्यों है खास?
वृंदावन ब्रजभूमि का प्रमुख स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का बचपन वृंदावन में ही बीता। भगवान कृष्ण एवं राधा रानी को समर्पित प्रेम मंदिर अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस मंदिर को भगवान श्री कृष्ण एवं राधा रानी के प्रेम का निशानी कहा जाता है। श्री कृष्ण एवं श्री राधा के साथ-साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवं माता सीता का प्रेम का प्रतीक भी प्रेम मंदिर को ही माना जाता है इसीलिए प्रेमी प्रेमिका के लिए यह मंदिर बेहद खास है। मंदिर में राधा कृष्ण के अद्भुत लीलाओं का चित्रण भी किया गया है। प्रेम मंदिर के निर्माण कृपालु महाराज ने करवाया था वे भगवान श्री कृष्णा के अनन्य भक्त थे। हर दिन यहां प्रेमी प्रेमिका सहित हजारों श्रद्धालु राधा कृष्ण के दर्शन करने आते हैं।
यहां से जुड़ी रोचक बातें!
वृंदावन का नाम यहां के तुलसी वन के नाम पर रखा गया है। वृंदा का मतलब तुलसी होता है और वन का मतलब जंगल इसलिए जहां पर तुलसी का वन हो वह वृंदावन है। यहां तुलसी के वन आज भी मौजूद है लेकिन एक समय तुलसी का घनघोर जंगल हुआ करता था। कहा जाता है कि इस वन में आपस में जुड़ी दो तुलसी के पौधे हैं जो रात में राधा कृष्ण बन जाते हैं और यहां मौजूद तुलसी के सारे पौधे गोपी बन कर रास रचाते हैं।
यहां रोज भगवान श्री कृष्णा को माखन और मिश्री का भोग लगता है और हर दिन प्रसाद बच जाता है बचा हुआ प्रसाद मंदिर में ही रख दिया जाता है और मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया जाता है जिसके बाद वहां कोई नहीं जाता और सुबह वह सारा प्रसाद गायब हो जाता है कुछ लोग इसे सच मानते हैं तो कुछ लोग अंधविश्वास।
कहा जाता है कि प्राय: भगवान श्री कृष्णा वृंदावन की निधिवन में आते हैं और राधा संग रास रचाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें कई बार घुंघरू की आवाज़ सुनाई दी है लेकिन उन्हें कभी रासलीला देखने की हिम्मत नहीं हुई। प्रतिदिन निधिवन के दरवाजे 7:00 बजे बंद कर दिए जाते। कहा जाता है कि जो कोई रासलीला देखने का प्रयास करेगा वह अगले दिन अंधा हो जाएगा।