बोधगया (Bodhgaya) बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान है, यही वह स्थान है जहां महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, यह स्थान बिहार (Bihar) के बोधगया (Bodhgaya) में स्थित है, प्रत्येक वर्ष बोधगया विश्व भर के बौद्ध अनुयायियों को आकर्षित करता है.
यदि आपका धार्मिक आदर्श बौद्ध धर्म से जुड़ा है तो बोधगया (Bodhgaya) वह पवित्र स्थान है जहां आप अपनी आत्मा की खोज में समाहित हो सकते हैं.
बोधगया मंदिर किसने बनवाया था, इतिहास
महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) का निर्माण मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक द्वारा 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया गया था, बताया जाता है कि बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) बौद्ध धर्म के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है.
महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) निरंजना नदी (Niranjana River) के तट पर मौजूद है, महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) को ज्ञान की प्राप्ति बोधगया (Bodhgaya) के पीपल वृक्ष के नीचे 2630 ईसा पूर्व में हुई थी.
यह भी पढ़े : भारत का मिनी जापान नोएडा (NOIDA)
बोधगया क्यों प्रसिद्ध है
बोधगया (Bodhgaya) बौद्ध धर्म के लिए बेहद पवित्र स्थान माना जाता है, प्रत्येक वर्ष दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां भ्रमण हेतु आते हैं, महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) ने ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में ही की थी इसलिए यह स्थान का बड़ा महत्व है, बोधगया में बना महाबोधि मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, यह मंदिर बिहार (Bihar) के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.
बोधगया का पुराना नाम क्या है
महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) जब इस क्षेत्र में रहते थे तो उस दौरान इस क्षेत्र को उरूवेला (Uruvela) कहा जाता था, वर्तमान समय में यह स्थान बोधगया (Bodhgaya) नाम से प्रसिद्ध है, यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान है.
बोधगया में कौन सा मंदिर है
बोधगया (Bodhgaya) की सबसे प्रमुख मंदिर महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) है, इस मंदिर का निर्माण मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक (Samrat Ashok) ने करवाया था, इसके अलावा यहां पर कई ऐसे मंदिर हैं जो आकर्षण के केंद्र माने जाते हैं.
बोध गया में घूमने की जगह
महाबोधि मंदिर
बोधगया की सबसे प्रमुख मंदिर महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) है इस मंदिर का निर्माण मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक (Samrat Ashok) ने करवाया था, इस मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) ने अपने धरोहर में शामिल किया है.
बोधि वृक्ष
बोधि वृक्ष वही वृक्ष है जिसके नीचे महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी इसलिए इसे बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाता है, बता दूं कि यह वृक्ष पीपल की वृक्ष है, बताया जाता है कि इस पीपल के वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) ने 500 वर्षों तक घोर तपस्या की थी.
बराबर की गुफाएं
बराबर की गुफाएं बोधगया (Bodhgaya) से 42 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है, इस गुफा के भीतर चार और गुफा मौजूद है, इस गुफा का नाम स्थानीय नाम बराबर (Barabar) के नाम पर रखा गया है.
सुजाता गढ़
फल्गु नदी (Falgu river) के पार मौजूद सुजाता गढ़ (Sujata Garh) बौद्ध धर्म का प्राचीनतम स्तूपों में से एक है, यह बोधगया के प्रमुख आकर्षण केंद्रों में से एक है, सुजाता गढ़ (Sujata Garh) को वह स्थान बताया जाता है जहां महात्मा बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए कठिन उपवास किया था, जब महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) कठिन उपवास में थे तो उनकी उस स्थिति को देखकर सुजाता नाम की एक स्त्री ने उन्हें खीर का प्याला दिया था जिसे महात्मा बुद्ध (Mahatma buddh) ने ग्रहण किया था, उसी स्त्री के नाम पर उस स्थान का नाम सुजाता गढ़ (Sujata Garh) रखा गया.
इंडोसन निप्पॉन जापानी मंदिर
यह मंदिर जापानी मंदिर की तरफ बनाया गया है, इस मंदिर का निर्माण 1972 ईस्वी में करवाया गया था इस मंदिर में भगवान बुद्ध (Bhagwan buddha) के जीवन को प्रदर्शित करने वाली कई प्रकार की जापानी पेंटिंग की गई है.